शुक्रवार, ५ ऑक्टोबर, २०१८

गौतम नवलखा कितने मानवतावादी?


पुरोगामी टोली के मुकाबिक पुणे पुलीस नवलखा के बारे मे जो बता रही है, वह दुर्भावना से प्रेरित हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार, केंद्र की मोदी सरकार भी दुर्भावना से प्रेरित हो सकता है। मगर नवलखा के जो भाषण युट्युबवर सुनने मिलते है, वह नवलखा को निर्दोष कैसे साबीत करेंगे। नवलखा की भाषा क्या है, वे काश्मिरी अलगाववादी युवाओं को कैसे हिंसा के लिए उकसाते है, उनका इन अलगाववादीयों से कैसे दोस्ताना संबंध है, यह युट्युबपर के उनके भाषण चिख चिख कर बताते है। उन्हे कैसा झुठलाया जा सकतासे भाषण भी यदि झुठे है तो क्या अमेरिकी सरकार का यह लिखित जवाब और उसमे नवलखा के बारे लिखा हुआ तत्थ्य भी झुठे है? यह पुरोगामी टोलियाँ कबतक इस देश की जनता ऐसे ही बरगलायेंगी?
 1 जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाव गांव मे जो हिंसाचार हुआ, उस घटना की जांच पुणे पुलिस कर रही है। इसी संदर्भ मे इस हिंसाचार से माओवादी कनेक्शन सामने आया। और उस सिलसिले मे पुणे पोलिस ने पांच माओवादी चिंतकों को गिरफ्तार किया. इस गिरफ्तारी के बाद देश की पुरोगामी टोली मे हडकंप मच गया. ये पांच माओवादी चिंतक कितने महान है, यह बताने की होड सी लग गयी। इन्ही पांच कथित महान चिंतकों मे एक है, गौतम नवलखा। मानव अधिकार के लिए लढनेवाले एक कार्यकर्ता, पत्रकार, संपादक, साहित्यिक.... आदि विशेषणों से शोभित यह महान व्यक्तिमत्व के स्तुती मे पुरोगामी टोली के द्वारा कशिदे पढे गये है। ये टोली ने इन चिंतकों के गिरफ्तारी को देशकी उच्चतम न्यायालय तक घसिटा। दिल्ली हायकोर्ट ने दो दिन पहिले नवलखा की हाऊस अरेस्ट खतम किया और उन्हे मुक्त किया, तो इस पुरोगामी टोली मे जश्न का माहौल था। देखो कितने बडे चिंतक पर इस देश की मनुवादी सरकार दुर्भावना से कारवाई कर रही, ये बताने का यह जश्न था। मगर सच मे गौतम नवलखा देशहित मे मानव अधिकार की बात करनेवाले इतने बडे कार्यकर्ता है? फीर गौतम नवलखा की हैसीयत क्या? उसके गिरफ्तारी से छुट जाने से जश्न मनाने जैसा महानत्व क्या सचमुच मे इस महान व्यक्तित्व मे है? दुर्भाग्य से इस, देश की पुरोगामी विचारधारा को माओवादी और वाम विचारधारा ने हायजॅक करके रखा है। देश की मिडीया पर भी इसी विचारधारा का प्रभाव है। इसी कारण मानवता का और पुरोगामीत्व का बुरखा लपेटे हुए ये माओवादी चिंतक आपको हर जगह दिखेंगे। मगर उनका यह छद्म रूप ना इस देशकी सही पुरोगामी नेताओं को दिखता और ना सत्तालोलूप राजकीय नेताओं को। गौतम नवलखा भी इन्ही छद्म पुरोगामी वाम चिंतकों मे से एक है। वाम विचारधारा मानना या उस विचारधारा का चिंतक रहना गैर नही... गलत भी नही। यह विचारधारा मानना, अभिव्यक्ती का स्वातंत्र्य हो सकता है। मगर यह विचारधारा जब देशहित के विरोध मे सामने आती है, और बेबाक शब्दों मे कहा जाए तो जब याह वाम विचारधारा राष्ट्रविघातक तत्वों के साथ खडी दिखती है, तो बात सिर्फ अभिव्यक्ती तक नही सीमित नही रह सकती। वह देशद्रोह, राष्ट्रद्रोह की परिभाषा तक पहुंचती है। क्या गौतम नवलखा इस परिभाषा को सिद्ध करने वाला एक व्यक्तिमत्व है?
 गत कुछ दिनों मे नवलखा के बारे मे बहुत सी बाते सामने आयी है। उनकी चाल, उनका चरित्र सबकुछ लोगों के सामने है। काश्मिरी अलगाववादी, दहशतवादीयों को नवलखा किस तरह सन्मान देते है, समर्थन देते है इस बारे मे बहुतसे प्रकाशित लेख उपलब्ध है। उनके प्रक्षोभक भाषणों की ऑडिओ क्लिप भी युट्युब पर मिल जाती है। मगर ये सब फॅब्रिकेटेड है... झुठे है... ऐसा पुरोगामी टोली के तरफ से कहां जाता है। रटाया जाता है। मगर नवलखा की इस करतुतों की गुंज सिर्फ भारत तकही सीमित नही। उनकी करतुत का डंका अमेरिकी कोर्टतक पहुंचा है। कश्मीरी अलगाववादी सय्यद गुलाम नबी फई के प्रकरण मे अमेरिकी कोर्ट मे अमेरिकी सरकार ने गौतम नवलखा, फई, काश्मिरी अलगाववादी और पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आयएसआय (ISI) के संबंधों को जगजाहीर कर दिया है। नवलखा के बारे मे कोर्ट ने जो कहा, वह नवलखा का सही चरित्र सामने लाने वाला है। मगर वह जानने के पहले सय्यद गुलाम नबी फई के प्रकरण को जानना जरुरी है। क्या है यह प्रकरण? कौन है यह सय्यद गुलाम नबी फई? फई अमेरिकी नागरिक है, मगर मूल से जम्मू-काश्मीर के बडगम जिल्हे का रहिवासी है। काश्मीर की स्वतंत्रता के लिए जो संघर्ष काश्मिरी अलगाववादीयों की तरफ से चलाया जा रहा है, उसका एक केंद्र फई था। वह KAC – काश्मिरी अमेरिकन कौन्सील नाम से एक संस्था चलाता था। संस्था का उद्देश था मूल काश्मिरी लोगों के हित की बात करना। मगर छुपा एजंडा था, काश्मिरी अलगाववादींयों को अमेरिका से आर्थिक निधी इकठ्ठा करना एवं वह निधी इन अलगाववादीयों के पास पहुंचाना। इस फई को अमेरिका के फेडरल ब्युरो ऑफ इनव्हेस्टीगेशन (FBI)  ने 19 जुलई 2011 को गिरफ्तार किया। 7 दिसंबर, 2011 को अमेरिका के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ वर्जिनिया के जिल्हा कोर्ट ने फई को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) से गोपनीय तरीके से लाखों डॉलर प्राप्त करने पर दोषी ठहराया गया है। मार्च 2012 मे इस कोर्ट ने फई को दो साल के कारावास की घोषणा की।न्यायालय के दस्तावेजों के मुताबिक फई (62) को साजिश रचने और पाकिस्तानी सरकार से दशकों तक हस्तांतरित कम से कम 35 लाख डॉलर छिपाने के कर उल्लंघन मामले में दोषी ठहराया गया। सरकारी पक्ष के मुताबिक, फई इस धन का इस्तेमाल कश्मीर पर अमेरिकी नीति को प्रभावित करने में करता था। आईएसआई से पैसे लेकर काम करने वाले फई ने अनुदानकर्ता के रूप में पेश करने के लिए कुछ लोगों को तैयार किया था जो उसके एनजीओ कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल (केएसी) को धन उपलब्ध कराते थे जबकि यह पैसा वास्तव में पाकिस्तानी सरकार देती थी। फई ने पिछले 20 वर्षो से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से लाखों डॉलर प्राप्त किए और इस धन के बारे में अमेरिकी सरकार से झूठ बोला।
अब इसमे गौतम नवलखा कहाँ से आये? इस प्रकरण मे नवलखा का नाम आता है, कोर्ट का जजमेंट के बाद फई ने जो जवाब कोर्ट मे दिया उस के प्रति जवाब मे अमेरिकी सरकार की तरफ से कोर्ट मे 9 पन्ने का पत्र दिया गया। अमेरिकी सरकार के वकील नील एच. मॅकब्राईड इनकी हस्ताक्षर से सादर इस जवाब मे पृष्ठ क्र. 4 पर महान वाम चिंतक गौतम नवलखा का नाम आता है। इस पृष्ठ के फूटनोट मे सरकार ने क्या लिखा है –“Many writers of the letters submitted by Fai to this Court on his behalf (Fai’s Sentencing Declaration, Exhibit 11) also fail to disclose facts the disclosure of which might undermine their credibility before this Court. For example - - and this is just a sampling from the first ones listed - - Farhan Chak (#6) is a “9/11 Truther.” Arif Kamal (#7) was copied on at least26 emails to Fai from the ISI. Mirwaiz Umar Farooq (#8) was supported and controlled by the ISI. Attiya Inayatullah (#14) was invited to KAC conferences by Fai at the ISI’s direction. Gautam Navakhla (#15) was introduced to an ISI general for recruitment by Fai at the ISI’sdirection.” इस काम के लिए फई की पहचान आयएसआय जनरल से गौतम नवलखा नेही की। इसका मतलब स्पष्ट है की, नवलखा की पहचान सिर्फ फई से नही, पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आयएसआय के प्रमुख से भी उनकी पहचान है, वो उन्हे जानते है ओर काश्मीर मे जो विघटनकारी मॉड्युल चल रहा है, उसके क्रियान्वयन मे नवलखा का अहम योगदान है। फई ने गिरफ्तारी के एक साल पहले 2010 मे काश्मिरी विघटनकारीयों के समर्थन मे एक परिषद अमेरिका मे आयोजित की गयी थी। उसमे भारत की जानी मानी वाम चिंतकों की उपस्थिती थी। उसमे कुछ भूतपूर्व जज भी थे और नवलखा भी। पुरोगामी टोली के मुकाबिक पुणे पुलीस नवलखा के बारे मे जो बता रही है, वह दुर्भावना से प्रेरित हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार, केंद्र की मोदी सरकार भी दुर्भावना से प्रेरित हो सकता है। मगर नवलखा के जो भाषण युट्युबवर सुनने मिलते है, वह नवलखा को निर्दोष कैसे साबीत करेंगे। नवलखा की भाषा क्या है, वे काश्मिरी अलगाववादी युवाओं को कैसे हिंसा के लिए उकसाते है, उनका इन अलगाववादीयों से कैसे दोस्ताना संबंध है, यह युट्युबपर के उनके भाषण चिख चिख कर बताते है। उन्हे कैसा झुठलाया जा सकता? से भाषण भी यदि झुठे है तो क्या अमेरिकी सरकार का यह लिखित जवाब और उसमे नवलखा के बारे लिखा हुआ तत्थ्य भी झुठे है? यह पुरोगामी टोलियाँ कबतक इस देश की जनता ऐसे ही बरगलायेंगी? कभी तो सच का सूरज निकलेंगा ही... तब इस माओवादी वामपंथ का क्या होगा? वामपंथ पुरी दुनिया से समाप्ती के ओर जा रहा है। ऐसी स्थिती मे भारत मे इन माओवाद का प्रत्यक्ष वा अप्रत्यक्ष रीतीसे समर्थन करने वाले वामपंथी चिंतको की यह छटपटाहट उनकी अंत को चिन्हित तो नही कर रही?
 -    अनंत कोळमकर

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